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Prakruti aur Jal: Shraddha Mata

प्रकृति और जल  सावन का माह प्रकृति के सौंदर्य का स्वरुप हैं। हरियाली छटा विखेरती प्रकृति, जल से मग्न झीले, सरोवर, झरने, फूलों से सुशजित और सुगन्धित बागान प्रकृति का सिंगार हैं । प्रकृति का स्वरुप अत्यंत वृहद हैं उसमे जल वृहद स्वरुप का प्रमुख अंग हैं। यह विचार उस समय मन में उठे ज़ब टीवी खोल न्यूज़ चेनल देखा, लगभग उत्तर, उत्तर- पूर्वी भारत और मध्य भारत जल मग्न हैं। हम स्वयं हरिद्वार में हैं जहाँ पिछले तीन दिनों से भारी बारिश हो रही हैं। जगह जगह पानी भर गया हैं, पहाड़ो में विशेषकर हिमाचल और उत्तराखंड में भुसखलन के कारण जान माल को भी हानि हुई। देश के कोने कोने से आये एक्सीडेंट व इमरातों के गिरने के दृष्यों को देख मन सोच में पड़ गया, ये वही जल और नदियाँ हैं जो जीवन दायनी हैं, लोगों को किसानो का जीवन इसी पर निर्भर होता हैं। यदि क़ृषि हेतु जल की कमी अकाल कारण हैं तो जल की अधिकता फसल बर्बादी का भी हैं। किन्तु यही नदियाँ या जल रौद्र रूप धारण कर ले तो प्रकृतिक आपदा का स्वरूप ले लेती हैं। बाढ़, भुसखलन के कारण प्रयटक स्थल बने पहाड़ो पर लोगों का जीवन दुष्कर हो गया हैं। यही जल का विराट और सौम्य
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The Enlightening Symphony: Exploring the Nexus of Yoga and Chetna (Awareness)

Welcome to a captivating exploration of the profound relationship between yoga and chetna (awareness). As we celebrate International Yoga Day, we embark on a journey to unravel the mesmerizing synergy that exists between these two transformative forces. Prepare to be immersed in a world where body, mind, and consciousness dance in harmony, unveiling the boundless potential within. Join us as we delve into the captivating tapestry of yoga and chetna, and discover their remarkable intersection. Yoga, an ancient practice that has captured the hearts of millions, extends far beyond physical postures and exercise. It is a holistic tapestry that weaves together breath control, meditation, ethical principles, and self-reflection. Yoga beckons us to embrace the totality of our being, forging a profound connection between the physical and the metaphysical. It is within this harmonious space that the delicate interplay between yoga and chetna emerges. The Power of Chetna: Chetna, or

Mataji on Republic Day

भारत के राष्ट्रीय उत्सव गणतंत्र दिवस पर सभी देशवासियों को अनेकों अनेक शुभकामनायें।🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏 किसी भी देश की स्वतंत्रता, नागरिकों के अधिकार, देश के लोगों की मुखर आवाज इस बात पर निर्भर करती है की वह देश गणतंत्र और लोकतंत्र है या नहीं। आजादी के पश्चात भारत ने अपने देश की सुचारु व्यवस्था को बनाये रखने के लिए, लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु, देश के प्रतेक नागरिक का देश के विकास में योगदान हो इसलिए गुलामी की जंजीरों से निकलता हुआ भारत वीर स्वतंत्रता सैनाननियों के वलिदान और योगदान से 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ , आजादी उपरांत 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागु किया गया और भारत गणतंत्र कहलाया। गणतंत्र व्यवस्था भारत के लिए नई नहीं है, इतिहास बताता है की छठी शताब्दी इसापूर्व भारत की ऐतिहासिक 16 जनपदों में से कई जनपद गणतंत्र थी, ये दिखता है की गणतंत्र हमारे रगो में है इसे हमने सीखा नहीं यह हमारे पूर्वजों की देन है। आज भारत के राष्ट्रीय पर्व 74 वे गणतंत्र पर भारत ने 73 वर्षों में संविधानिक व्यवस्थाओं और जन जन के सहयो

Sasaram Somnath Mandir Grand Opening

इस कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की बैकुंठ चतुर्दशी आज अति महत्वपूर्ण रही, पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी के अथक प्रयास और मेहनत का फल रहा कि, पूर्वोत्तर की इस पावन भूमि पर 'पूर्वोत्तर सोमनाथ मंदिर ' का भव्य लोकार्पण किया गया। जिसमें महान संतो, महात्माओं व आचार्य शामिल रहें - स्वामी आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी (जूना अखाड़ा ),आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशा नन्द गिरि जी(निरंजनी अखाड़ा ), आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी (किन्नर अखाड़ा ), महामंडलेश्वर योगामाता केको आइकवा जी (जापान), महामंडलेश्वर अर्जुन पूरी जी महाराज, स्वामी रामदेव बाबाजी, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, महामंडलेश्वर चेतना गिरि माताजी, महामंडलेश्वर विष्णु देवा नन्द जी (रूस ), महामंडलेश्वर आनद लीला माताजी, महामंडलेश्वर यतेन्द्रनन्द गिरि जी, महामंडलेश्वर शैलशानन्द गिरि जी महाराज, महामंडलेश्वर अरुण अवदूध जी, सत गुरु कृष्णानन्द जी महाराज, श्री सत प्रभु जी (रूस ) सभी ने अपने आगमन से इस लोकार्पण समारोह को सफल बनाया,जो स्वयं दिन रात अपने अपने प्रयासों से समाज, राष्ट्र व विश्व कल्याण हेतु क्रियाशील

World Peace: Sankalp

विश्व शांति, समाज कल्याण व राष्ट्र निर्माण हेतु प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भूमिका निभाने वाले हमारे साधु ,संत, संन्यासी, मुनि, योग गुरु व आचार्य हैं। यही वे लोग है जो अपनी ऊर्जा से विभिन्न क्षेत्रों के कल्याण हेतु बड़ी भूमिका निभा रहें हैं। चाहें वह राजनैतिक क्षेत्र हो या सामाजिक, वास्तीवक रूप से इन्हीं की ऊर्जा से राजनेता व सामाज सेवक वृहदता के साथ देश और समाज में परिवर्तन ला रहें हैं। साथ ही प्रत्यक्ष रूप से ये योग, आयुर्वेद और लेखनी को माध्यम बना विश्व को सही दिशा देने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका हैं। बस कुछ ही दिनों पूर्व 'हरी की नगरी' 'हरिद्वार' में ऐसे ही मुनि, आचार्य और संतो का समागम रहा, जहाँ जूना अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी (पंच दस नाम,जूना अखाड़ा ),परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष व संस्थापक स्वामी चिदानन्द जी(मुनिजी ) , विश्व के प्रमुख आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण जी और देश व विदेश में जन-जन तक योग को पहुंचने वाले स्वामी रामदेव जी से भेट का सुअवसर प्राप्त हुआ।साथ ही देश विदेश से आये सन्यासियों का भी सहयोग प्राप्त हुआ। इस

Birthday greetings to Babaji

ओम् नमो नारायण। 🙏 महान पुरुष का जन्म दिवस भी किसी उत्सव से कम नहीं । ऐसे ही महान पुरुष का जन्म इस धारा पर 15 जुलाई 1936 को रोहतास जिला सासाराम के एक राजघराने में हुआ , इस युग के विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरु महायोगी पायलट बाबा जी के रूप में। संन्यास से पूर्व कपिल सिंह के नाम से जाने जाने वाले बाबाजी का घर पर प्यार का नाम 'ललन' रहा। दार्जलिंग से स्कूली शिक्षा पूर्ण कर सन 1957 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से जैविक रसायन विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की। देश भक्ति की भावना बचपन से ही उनके रगो में रहीं, यहीं वजह थी की उन्होंने भारतीय वायु सेना को प्राथमिकता दि जबकि कई और सुनहरे विकल्प उनकी राह देख रहें थे... भारतीय वायु सेना में उन्होंने अपने शौर्य, बहादुरी व राष्ट्र भक्ति का परिचय वर्ष 1962 के चीन-भारतीय युद्ध, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में दिया , जिसके परिणाम स्वरुप भारत सरकार ने उन्हें 'वीर' और 'शौर्य' चक्र से सम्मानित किया। कहा गया है की- एक छोटी सी घटना जीवन के बहाव को मोड़ देती है, ऐसी ही एक घटना ने पूज्य बाब

Mataji on Yoga Day

योग का बढ़ा ही साधारण अर्थ हैं - 'जुड़ाव'। पतंजलि सुत्र में भी -" युजत्य अनेन इति योग :।। " अर्थात.. योग जुड़ने की प्रक्रिया है। यदि हम इस संसार व सृष्टि का ध्यानपूर्वक अवलोकन करें तो सूक्ष्म से लेकर वृहद तक सब 'योगमय' हैं। योग की अनुपस्थिति में न तो यहाँ संसार व सृष्टि संभव है और न ही इनका क्रियाकल्प। सृष्टि का मूल आधार 'शिव और शक्ति' व 'पुरुष और प्रकृति' का मिलन 'योग' है। यदि संसार को देखें तो संसार में प्रतेक जीव की एक दूसरे पर निर्भरता 'योग' है। उदाहरण - वृक्ष से प्राप्त ऑक्सीजन मनुष्य जीवन का आधार है तो वही मनुष्य द्वारा निकासित कार्बन वृक्षों का आधार 'योग' ही है। मनुष्य, पशु, पक्षी,नदी, पहाड़ का एक दूसरे से जुड़ाव 'योग' ही है। ये मनुष्य शरीर भी स्वयं 'पंचभूतों' और 'इन्द्रियों' के योग का परिणाम है। इस सृष्टि की संचालन प्रक्रिया में मौजूद 'सत' , 'रज' , 'तम' गुणों का समनव्यय 'योग' ही है। इन्हें ही आज की आधुनिक वैज्ञानिक भाषा में 'इलेक्ट्रान' , '