प्रकृति और जल सावन का माह प्रकृति के सौंदर्य का स्वरुप हैं। हरियाली छटा विखेरती प्रकृति, जल से मग्न झीले, सरोवर, झरने, फूलों से सुशजित और सुगन्धित बागान प्रकृति का सिंगार हैं । प्रकृति का स्वरुप अत्यंत वृहद हैं उसमे जल वृहद स्वरुप का प्रमुख अंग हैं। यह विचार उस समय मन में उठे ज़ब टीवी खोल न्यूज़ चेनल देखा, लगभग उत्तर, उत्तर- पूर्वी भारत और मध्य भारत जल मग्न हैं। हम स्वयं हरिद्वार में हैं जहाँ पिछले तीन दिनों से भारी बारिश हो रही हैं। जगह जगह पानी भर गया हैं, पहाड़ो में विशेषकर हिमाचल और उत्तराखंड में भुसखलन के कारण जान माल को भी हानि हुई। देश के कोने कोने से आये एक्सीडेंट व इमरातों के गिरने के दृष्यों को देख मन सोच में पड़ गया, ये वही जल और नदियाँ हैं जो जीवन दायनी हैं, लोगों को किसानो का जीवन इसी पर निर्भर होता हैं। यदि क़ृषि हेतु जल की कमी अकाल कारण हैं तो जल की अधिकता फसल बर्बादी का भी हैं। किन्तु यही नदियाँ या जल रौद्र रूप धारण कर ले तो प्रकृतिक आपदा का स्वरूप ले लेती हैं। बाढ़, भुसखलन के कारण प्रयटक स्थल बने पहाड़ो पर लोगों का जीवन दुष्कर हो गया हैं। यही जल का विराट और स...
Mahamandaleshwar, Juna Akhara