सनातन धर्म से जन्मी भारतीय संस्कृति में त्यौहार और उत्सवों का अपना विशेष ही महत्व हैं.. हमारी संस्कृति को यदि त्यौहारों व उत्सवों की संस्कृति भी कहीं जाये तो गलत नहीं होगा। भारतीय संस्कृति में मनाया जाने वाला प्रतेक पर्व और त्यौहार धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता हैं, इन्हीं त्यौहारों में फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होली का उत्सव मनाया जाता हैं। होली को रंगों का त्यौहार है, जैसे ईश्वर ने इस संसार में प्रकृति में विभिन्न रंगों की छटा विखेरी है उसी प्रकार होली का उत्सव हमें संदेश देता हैं की जीवन है तो संघर्ष हैं.. उतार -चढ़ाव भी हैं, सुख भी है दुख भी है परंतु हमें जीवन को साक्षी बना कर चलना होगा, जीवन के सभी पहलुओं को रंगों के रूप में ग्रहण करते हुए खुशहाली पूर्वक जीने की सीख हमें ये रंगों का त्यौहार ही देता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता हैं, विष्णु पुराण के अनुसार होली का उत्सव मनाये जाने के पीछे राजा हिरण्यकश्यप और उसका विष्णु भक्त प्रहलाद और राजा हिरण्य की बहन होलिका की कहानी प्रचलित है...
Mahamandaleshwar, Juna Akhara